एक धुन बज रही है मेरे गाँव में
एक धुन बज रही है मेरे गाँव में
अजीब, काली सी
अनजान सी धुन है |
मायूसी है, खामोशी है, चहचहाहट के फ़ुक़्दान में
एक सुनसान सी धुन है |
कल रविवार है, फिर भी आँगन खली है,
गालियाँ चुप हैं, परसो इम्तहां भी नहीं |
अभी तो हुई है सहर इस साल की,
एक ढलती शाम सी धुन है |
शीशे बरकार, नालियों में गेंद नहीं
कोई भी डॉक्टर इंजीनियर पायलेट मैदान में नहीं |
शांति नहीं है, सन्नाटा है,
एक कोहराम सी धुन है |
बड़े संभाल के रख रखा था, बरनी में बंद कर के,
ऊपर के आले पे, एक तूफान को कभी
बरनी टूटी और शहर गूँज उठा,
एक तूफ़ान सी धुन है |
तुमने नहीं सुनी?
ध्यान से सुनो
काली सी मठमैली सी, लाल यूनिफार्म में,
एक हैवान सी धुन है |
कल तो रविवार है, शहर के अस्पतालों में
फिर क्यों ये परेशान सी धुन है
अजीब बात है |
अजीब, काली सी
अनजान सी धुन है |
मायूसी है, खामोशी है, चहचहाहट के फ़ुक़्दान में
एक सुनसान सी धुन है |
कल रविवार है, फिर भी आँगन खली है,
गालियाँ चुप हैं, परसो इम्तहां भी नहीं |
अभी तो हुई है सहर इस साल की,
एक ढलती शाम सी धुन है |
शीशे बरकार, नालियों में गेंद नहीं
कोई भी डॉक्टर इंजीनियर पायलेट मैदान में नहीं |
शांति नहीं है, सन्नाटा है,
एक कोहराम सी धुन है |
बड़े संभाल के रख रखा था, बरनी में बंद कर के,
ऊपर के आले पे, एक तूफान को कभी
बरनी टूटी और शहर गूँज उठा,
एक तूफ़ान सी धुन है |
तुमने नहीं सुनी?
ध्यान से सुनो
काली सी मठमैली सी, लाल यूनिफार्म में,
एक हैवान सी धुन है |
कल तो रविवार है, शहर के अस्पतालों में
फिर क्यों ये परेशान सी धुन है
अजीब बात है |
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