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एक धुन बज रही है मेरे गाँव में

एक धुन बज रही है मेरे गाँव में अजीब, काली सी अनजान सी धुन है  | मायूसी है, खामोशी है,  चहचहाहट के फ़ुक़्दान में एक सुनसान सी धुन है  | कल रविवार है, फिर भी आँगन खली है, गालियाँ चुप हैं, परसो इम्तहां भी नहीं | अभी तो हुई है सहर इस साल की, एक ढलती शाम सी धुन है | शीशे बरकार, नालियों में गेंद नहीं कोई भी डॉक्टर इंजीनियर पायलेट मैदान में नहीं | शांति नहीं है, सन्नाटा है, एक कोहराम सी धुन है | बड़े संभाल के रख रखा था, बरनी में बंद कर के, ऊपर के आले पे, एक तूफान को कभी बरनी टूटी और शहर गूँज उठा, एक तूफ़ान सी धुन है  | तुमने नहीं सुनी? ध्यान से सुनो काली सी  मठमैली सी, लाल यूनिफार्म में, एक हैवान सी धुन है | कल तो  रविवार है, शहर के अस्पतालों में फिर क्यों ये परेशान सी धुन  है अजीब बात है |

मेरे पड़ौसी के घर में कोई हादसा हुआ है आज

मेरे पड़ोसी के घर कोई हादसा हुआ है आज। वो रोज़ ढोल धमाकों  की आवाज़ से मेरी नींद ख़राब करता है, कुछ बोलो तो आँखे दिखाता है। उसके घर में सब ऐसे नहीं है, कुछ लोग समझदार भी है, माँ है, बच्चे है और भी कईं लोग है। बस वो ही बात को कुछ बनने नहीं देता। परसो घर में मेहमान आये थे, उन्ही से थोड़ी शक्कर मंगवाई थी, और उसकी बेटी की शादी में, मैंने भी गैस के 2 सिलिंडर भिजवा दिया थे। हम दोनों ही खुश नहीं है, यह तो तय है। बच्चे भी कंफ्यूज है। उसके घर जब बिरयानी बनती है तो महक मेरे ड्राइंग रुम तक आती है। बहुत स्वादिष्ट खाना बनती है उसकी माँ। और मेरे घर में जब बॉलीवुड के गाने बजते है, तो उसके बच्चे झूम उठते है। कभी हमारे बच्चे लड़ाई, गाली गलौची करते नज़र आते है, तो कभी गली में प्लास्टिक की बाल से क्रिकेट भी खेलते पाये जाते है। कंफ्यूज है वो बेचारे। आज उसके घर में सन्नाटा है, उसके बच्चे भी कही दिखाई नहीं दे रहे। मेरे घर में भी ख़ामोशी छा गई है बच्चे स्कूल से लौटे नहीं है उसके अभी तक। घर पर काफी भीड़ भी है उसके, फिर भी बच्चे नदारद है। सोच रहा था मिल लूं आज...