हमारी बनावट कुछ ऐसी है
कि जब हम किसी राह देख रहे होते है
तो हम उन्हें वहाँ से देखना चाहते है
जहां तक हमारी नज़र जा सकती है।
हमें ये अच्छे से पता है कि वो हम तक ही पहुँच रहे है,
अंत में वे हमारे सामने वाले दरवाज़े हो कर ही निकलेंगे।
पर नही।
हम पूरा ज़ोर लगा कर अपने पंजों पे दम लगा कर
उन्हें जितना दूर हो सके उतनी दूर से आता देखना चाहते है।
आप जिसे चाहते है उसका आप तक पहुँच जाना एक उपलब्धि है,
उन्हें दूर से आता देखना एक औषधि है ।
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